BA Semester-1 Sanskrit - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2632
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत

अध्याय - 10

विसर्ग सन्धि

 

प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर -

विसर्जनीयस्य सः।

अनुवाद - यदि कोई खर वर्ण परवर्ती हो तो विसर्जनीय (विसर्ग) के स्थान पर स् आदेश होता है।
व्याख्या - विसर्ग के स्थान पर स् आदेश विधायक यह विधि सूत्र तब प्रवृत्त होता है जब विसर्ग के बाद खर प्रत्याहार का कोई अक्षर हो। खरवसान् सूत्र से यहाँ 'खरि' की अनुवृत्ति होती है। आवश्यकतानुसार यह सूत्र हल् सन्धि में आया है पर सूत्र का मुख्य प्रयोजन इसी प्रकरण में है। 'विष्णुस्राता' इसका उदाहरण है। जैसे विष्णुः + त्राता, इस स्थिति में खर वर्ण 'त' विसर्ग के बाद स्थिति है अतः 'विरार्जनीयस्य सः, सूत्र से विसर्ग के स्थान पर सकार आदेश हो जाता है।

वा शरि।

अनुवाद - यदि शर वर्ण परवर्ती हो तो विसर्ग के स्थान पर विकल्प से विसर्ग ही रह जाता है।
व्याख्या - यह सूत्र 'विसर्गजनीयस्य सः' का अपवाद है। 'विसर्जनीयस्य तथा शर्परे विसर्जनीयः 8। 3। 35 से विसर्जनीयः की अनुवृत्ति की जाती है। यह सूत्र वैकल्पिक है। अतः एक पक्ष में विसर्ग को स भी होता है। जैसे हरिश्शेत हरि + शेते, इस स्थिति में 'खर' वर्ण 'श' विसर्ग के परवर्ती है अतः विसर्जनीयस्य सः से विसर्ग के स्थान पर स् आदेश प्राप्त होता है किन्तु 'श्' वर्ण शर के अन्तर्गत भी है अतः 'वा शरि' सूत्र शर् श्' से पूर्व विसर्ग को विसर्ग आदेश ही विकल्प में करता है।

ससजुषो रुः

अनुवाद - पद के अन्त में स्थित स् के स्थान पर और सजुष शब्द के ष के स्थान पर रु आदेश होता है।
व्याख्या - रु आदेश करने वाला यह विसर्ग सन्धि का प्रमुख विधिसूत्र है। पदस्य सूत्र की अनुवृत्ति होती है और उसमें तदन्त विधि होती है। ससजुषोरु के विसर्ग का रु (2) करके उसका रोरि' से लोप किया गया है। ससजुष' में समाहार द्वन्द्व करके इसे एकवचन भी माना जा सकता है। 'अलोऽन्त्यस्य परिभाषा से यह रु आदेश अन्त्य स के स्थान पर होता है। सकारान्त पद या सजुष शब्द मात्र के स्थान पर नहीं। पदान्त स को जश्त्व करने वाले 'झलां जशोऽन्ते सूत्र का यह अपवाद है।

अतो रोरप्लुतादप्लुते।

अनुवाद- प्लुत से भिन्न हस्व अकार से परवर्ती रु (के र) के स्थान पर ह्रस्व उ आदेश होता है। यदि रु के बाद भी अप्लुत अकार हो।
व्याख्या - 'रु' के स्थान पर 'उ' आदेश विधायक यह विधि सूत्र है। 'एड: पदान्तादति से 'अति' तथा 'ऋत उत्' की अनुवृत्ति आती है। यदि रु (के र) के पहले तथा बाद में भी ह्रस्व अकार हो तब यह सूत्र रु वाले 'र्' के स्थान पर 'उ' आदेश का विधान करता है। ससजुषोरुः। 2। 66 सूत्र को इसकी दृष्टि में असिद्ध होना चाहिए पर सूत्रारम्भ सामर्थ्य से असिद्ध नहीं होता है। यदि असिद्ध हो जाये तो यह किसे 'उ' आदेश करेगा? जैसे शिव + र् + अर्च्य में र के दोनों ओर हस्व अकार है अत 'अतो रोरप्लुतादप्लुते' सूत्र से र के स्थान पर 'उ' आदेश होता है।

हशि च।

अनुवाद - यदि रु के बाद हश् वर्ण हो तब भी पूर्वोक्त प्रकार से 'उ' होता है।
व्याख्या - 'उत्व' विधायक यह द्वितीय विधि सूत्र है। 'अतोररो0' सम्पूर्ण सूत्र की तथा 'ऋत् उत्' की अनुवृत्ति करने पर सूत्रार्थ ज्ञात होता है। यदि रु के पूर्व ह्रस्व अ तथा बाद में हश् का कोई वर्ण हो तो इससे रु (2) को 'उ' आदेश होता है। जैसे शिव र् + वन्द्यः स्थिति होती है। र के बाद हश् वर्ण 'व्' है अतः 'हशि च' सूत्र से र के स्थान पर उ' आदेश हो जाता है।

भो-भगो-अघो-अपूर्वस्य योऽशि।

अनुवाद - जिसके पूर्व भी भो-भगो-अघो अथवा 'अ' वर्ण हो ऐसे रु के स्थान पर य आदेश होता है यदि बाद में अश् वर्ण हो।
व्याख्या -
'रु' के स्थान पर य् आदेश विधायक यह विधि सूत्र है। सूत्र में सन्धि का सौत्र अभाव है। 'रो: सुपि सूत्र से रो की अनुवृत्ति होती है। रु के पूर्व यदि भोभगो-अघो अथवा 'अ' हो तथा बाद में अश् प्रत्याहार का कोई अक्षर हो तो यह सूत्र रु के स्थान पर 'य्' आदेश करता है। जैसे- देवास् + इह. इस स्थिति में 'स-सजुषोरु' पदान्त स के स्थान पर रु आदेश होता है। अनुबन्ध उकार की इत्सञ्ज्ञा तथा उसका लोप हो जाता है। भो-भगो-अघो अपूर्वस्य योऽशि सूत्र से र के स्थान पर 'य्' आदेश हो जाता है।

हरि सर्वेषाम्।

अनुवाद - सभी आचार्यों के मतानुसार, भो-भगो-अघो शब्द या 'अ' वर्ण यदि पूर्व हो तो य का लोप होता है, हल् वर्ण के परवर्ती होने पर।
व्याख्या - यह य् का लोप विधायक विधि सूत्र है। 'भो भगो0 सूत्र से 'भो-भगो-अघो - अ पूर्वस्य की. ब्योर्लघुप्रयत्नतर शाकटायनस्य सूत्र से 'यस्य पदस्य' सूत्र तथा 'लोप शाकल्यस्य' से लोपः की अनुवृत्ति होती है। यदि पहले भो-भगो या अधो शब्द अथवा अवर्ण हो और उसके बाद पदान्त 'य्' हो तथा य् के बाद कोई हल् वर्ण हो तो इस सूत्र से पदान्त य् का लोप होता है। लघुकौमुदी मे अवर्ण के बाद वाले य् लोप का उदाहरण नहीं है। उसका उदाहरण है- बालास + हसन्ति = बाला हसन्ति मूर्खास् आगच्छन्ति कलहप्रिया: = मूर्शखा आगच्छन्ति कलहप्रिया आदि।

रोऽसुपि।

अनुवाद - अहन् शब्द के अन्त्य वर्ण के स्थान पर र आदेश होता है किन्तु सप् प्रत्ययों के परवर्ती रहने पर (र आदेश) नहीं होता।
व्याख्या - अहन के न् कोर करने वाला यह विधि सूत्र है। 'अहन्' सूत्र में षष्ठी का सौत्र लोप है। अहन् सूत्र से अह इस षष्ठ्यन्त पद तथा 'पदस्य' सूत्र की अनुवृत्ति होती है। 'अलोऽन्त्यस्य परिभाषा से अहन के अन्त्य वर्ण न' के स्थान पर र आदेश होता है। सु से सुप् तक 21 सुप विभक्तियाँ हैं, यदि इनमें से कोई अहन के बाद हो तो यह आदेश नहीं होता। अहत् सूत्र से प्राप्त रु आदेश का यह अपवाद है। रु आदेश वाले र् को 'अतोरो0 तथा र्हशिच सूत्र से उत्व होता है पर र आदेश के र को नहीं होता।

वकारस्यदन्तोष्ठम् ।

अर्थ- 'व्' का उच्चारण स्थान दन्त + ओष्ठ है। अर्थात् 'व' का उच्चारण करते समय प्राणवायु का अद्यात् दोंतों और ओठों दोनों पर एक साथ ही लगता है। अतः दन्त और ओष्ठ का सम्मिलित भाग 'व' का उच्चारण स्थान निर्धारित किया गया है।

स्थान वर्ण
कण्ठ
तालु
मूर्धा
दन्त
ओष्ठ
नासिका
कण्ठ + तालु
कण्ठ + ओष्ठ
दन्त + ओष्ठ
जिह्वा मूल
अ क् ख् ग् घ् ङह ( )
इ च छ् ज् झ् ञ्य् श्
त्रह ट् ठ् ड् ड ण र ष
लृ त् थ् द ध न ल स
उ प् फ् भ् म् प् फ्
ञ् म् ङ् ण् न् (-)
ए ऐ
ओ औ

क ख

 

 

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारतीय दर्शन एवं उसके भेद का परिचय दीजिए।
  2. प्रश्न- भूगोल एवं खगोल विषयों का अन्तः सम्बन्ध बताते हुए, इसके क्रमिक विकास पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भारत का सभ्यता सम्बन्धी एक लम्बा इतिहास रहा है, इस सन्दर्भ में विज्ञान, गणित और चिकित्सा के क्षेत्र में प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण योगदानों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- निम्नलिखित आचार्यों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - 1. कौटिल्य (चाणक्य), 2. आर्यभट्ट, 3. वाराहमिहिर, 4. ब्रह्मगुप्त, 5. कालिदास, 6. धन्वन्तरि, 7. भाष्कराचार्य।
  5. प्रश्न- ज्योतिष तथा वास्तु शास्त्र का संक्षिप्त परिचय देते हुए दोनों शास्त्रों के परस्पर सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- 'योग' के शाब्दिक अर्थ को स्पष्ट करते हुए, योग सम्बन्धी प्राचीन परिभाषाओं पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- 'आयुर्वेद' पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  8. प्रश्न- कौटिलीय अर्थशास्त्र लोक-व्यवहार, राजनीति तथा दण्ड-विधान सम्बन्धी ज्ञान का व्यावहारिक चित्रण है, स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- प्राचीन भारतीय संगीत के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  10. प्रश्न- आस्तिक एवं नास्तिक भारतीय दर्शनों के नाम लिखिये।
  11. प्रश्न- भारतीय षड् दर्शनों के नाम व उनके प्रवर्तक आचार्यों के नाम लिखिये।
  12. प्रश्न- मानचित्र कला के विकास में योगदान देने वाले प्राचीन भूगोलवेत्ताओं के नाम बताइये।
  13. प्रश्न- भूगोल एवं खगोल शब्दों का प्रयोग सर्वप्रथम कहाँ मिलता है?
  14. प्रश्न- ऋतुओं का सर्वप्रथम ज्ञान कहाँ से प्राप्त होता है?
  15. प्रश्न- पौराणिक युग में भारतीय विद्वान ने विश्व को सात द्वीपों में विभाजित किया था, जिनका वास्तविक स्थान क्या है?
  16. प्रश्न- न्यूटन से कई शताब्दी पूर्व किसने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त बताया?
  17. प्रश्न- प्राचीन भारतीय गणितज्ञ कौन हैं, जिसने रेखागणित सम्बन्धी सिद्धान्तों को प्रतिपादित किया?
  18. प्रश्न- गणित के त्रिकोणमिति (Trigonometry) के सिद्धान्त सूत्र को प्रतिपादित करने वाले प्रथम गणितज्ञ का नाम बताइये।
  19. प्रश्न- 'गणित सार संग्रह' के लेखक कौन हैं?
  20. प्रश्न- 'गणित कौमुदी' तथा 'बीजगणित वातांश' ग्रन्थों के लेखक कौन हैं?
  21. प्रश्न- 'ज्योतिष के स्वरूप का संक्षिप्त विश्लेषण कीजिए।
  22. प्रश्न- वास्तुशास्त्र का ज्योतिष से क्या संबंध है?
  23. प्रश्न- त्रिस्कन्ध' किसे कहा जाता है?
  24. प्रश्न- 'योगदर्शन' के प्रणेता कौन हैं? योगदर्शन के आधार ग्रन्थ का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  25. प्रश्न- क्रियायोग' किसे कहते हैं?
  26. प्रश्न- 'अष्टाङ्ग योग' क्या है? संक्षेप में बताइये।
  27. प्रश्न- 'अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- आयुर्वेद का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  29. प्रश्न- आयुर्वेद के मौलिक सिद्धान्तों के नाम बताइये।
  30. प्रश्न- 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' का सामान्य परिचय दीजिए।
  31. प्रश्न- काव्य क्या है? अर्थात् काव्य की परिभाषा लिखिये।
  32. प्रश्न- काव्य का ऐतिहासिक परिचय दीजिए।
  33. प्रश्न- संस्कृत व्याकरण का इतिहास क्या है?
  34. प्रश्न- संस्कृत शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? एवं संस्कृत व्याकरण के ग्रन्थ और उनके रचनाकारों के नाम बताइये।
  35. प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
  36. प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- कालिदास से पूर्वकाल में संस्कृत काव्य के विकास पर लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्यगत विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- महाकवि कालिदास के पश्चात् होने वाले संस्कृत काव्य के विकास की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- महर्षि वाल्मीकि का संक्षिप्त परिचय देते हुए यह भी बताइये कि उन्होंने रामायण की रचना कब की थी?
  42. प्रश्न- क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि माघ में उपमा का सौन्दर्य, अर्थगौरव का वैशिष्ट्य तथा पदलालित्य का चमत्कार विद्यमान है?
  43. प्रश्न- महर्षि वेदव्यास के सम्पूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए, उनकी कृतियों के नाम बताइये।
  44. प्रश्न- आचार्य पाणिनि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  45. प्रश्न- आचार्य पाणिनि ने व्याकरण को किस प्रकार तथा क्यों व्यवस्थित किया?
  46. प्रश्न- आचार्य कात्यायन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  47. प्रश्न- आचार्य पतञ्जलि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  48. प्रश्न- आदिकवि महर्षि बाल्मीकि विरचित आदि काव्य रामायण का परिचय दीजिए।
  49. प्रश्न- श्री हर्ष की अलंकार छन्द योजना का निरूपण कर नैषधं विद्ध दोषधम् की समीक्षा कीजिए।
  50. प्रश्न- महर्षि वेदव्यास रचित महाभारत का परिचय दीजिए।
  51. प्रश्न- महाभारत के रचयिता का संक्षिप्त परिचय देकर रचनाकाल बतलाइये।
  52. प्रश्न- महाकवि भारवि के व्यक्तित्व एवं कर्त्तव्य पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- महाकवि हर्ष का परिचय लिखिए।
  54. प्रश्न- महाकवि भारवि की भाषा शैली अलंकार एवं छन्दों योजना पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- 'भारवेर्थगौरवम्' की समीक्षा कीजिए।
  56. प्रश्न- रामायण के रचयिता कौन थे तथा उन्होंने इसकी रचना क्यों की?
  57. प्रश्न- रामायण का मुख्य रस क्या है?
  58. प्रश्न- वाल्मीकि रामायण में कितने काण्ड हैं? प्रत्येक काण्ड का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  59. प्रश्न- "रामायण एक आर्दश काव्य है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  60. प्रश्न- क्या महाभारत काव्य है?
  61. प्रश्न- महाभारत का मुख्य रस क्या है?
  62. प्रश्न- क्या महाभारत विश्वसाहित्य का विशालतम ग्रन्थ है?
  63. प्रश्न- 'वृहत्त्रयी' से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- भारवि का 'आतपत्र भारवि' नाम क्यों पड़ा?
  65. प्रश्न- 'शठे शाठ्यं समाचरेत्' तथा 'आर्जवं कुटिलेषु न नीति:' भारवि के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  66. प्रश्न- 'महाकवि माघ चित्रकाव्य लिखने में सिद्धहस्त थे' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  67. प्रश्न- 'महाकवि माघ भक्तकवि है' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  68. प्रश्न- श्री हर्ष कौन थे?
  69. प्रश्न- श्री हर्ष की रचनाओं का परिचय दीजिए।
  70. प्रश्न- 'श्री हर्ष कवि से बढ़कर दार्शनिक थे।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  71. प्रश्न- श्री हर्ष की 'परिहास-प्रियता' का एक उदाहरण दीजिये।
  72. प्रश्न- नैषध महाकाव्य में प्रमुख रस क्या है?
  73. प्रश्न- "श्री हर्ष वैदर्भी रीति के कवि हैं" इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  74. प्रश्न- 'काश्यां मरणान्मुक्तिः' श्री हर्ष ने इस कथन का समर्थन किया है। उदाहरण देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  75. प्रश्न- 'नैषध विद्वदौषधम्' यह कथन किससे सम्बध्य है तथा इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  76. प्रश्न- 'त्रिमुनि' किसे कहते हैं? संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  77. प्रश्न- महाकवि भारवि का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी काव्य प्रतिभा का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- भारवि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- किरातार्जुनीयम् महाकाव्य के प्रथम सर्ग का संक्षिप्त कथानक प्रस्तुत कीजिए।
  80. प्रश्न- 'भारवेरर्थगौरवम्' पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
  81. प्रश्न- भारवि के महाकाव्य का नामोल्लेख करते हुए उसका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की कथावस्तु एवं चरित्र-चित्रण पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की रस योजना पर प्रकाश डालिए।
  84. प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
  85. प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य-कला की समीक्षा कीजिए।
  86. प्रश्न- 'वरं विरोधोऽपि समं महात्माभिः' सूक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
  87. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए ।
  88. प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
  89. प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि कालिदास संस्कृत के श्रेष्ठतम कवि हैं।
  92. प्रश्न- उपमा अलंकार के लिए कौन सा कवि प्रसिद्ध है।
  93. प्रश्न- अपनी पाठ्य-पुस्तक में विद्यमान 'कुमारसम्भव' का कथासार प्रस्तुत कीजिए।
  94. प्रश्न- कालिदास की भाषा की समीक्षा कीजिए।
  95. प्रश्न- कालिदास की रसयोजना पर प्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- कालिदास की सौन्दर्य योजना पर प्रकाश डालिए।
  97. प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य' की समीक्षा कीजिए।
  98. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -
  99. प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि के जीवन-परिचय पर प्रकाश डालिए।
  100. प्रश्न- 'नीतिशतक' में लोकव्यवहार की शिक्षा किस प्रकार दी गयी है? लिखिए।
  101. प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की कृतियों पर प्रकाश डालिए।
  102. प्रश्न- भर्तृहरि ने कितने शतकों की रचना की? उनका वर्ण्य विषय क्या है?
  103. प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- नीतिशतक का मूल्यांकन कीजिए।
  105. प्रश्न- धीर पुरुष एवं छुद्र पुरुष के लिए भर्तृहरि ने किन उपमाओं का प्रयोग किया है। उनकी सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
  106. प्रश्न- विद्या प्रशंसा सम्बन्धी नीतिशतकम् श्लोकों का उदाहरण देते हुए विद्या के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  107. प्रश्न- भर्तृहरि की काव्य रचना का प्रयोजन की विवेचना कीजिए।
  108. प्रश्न- भर्तृहरि के काव्य सौष्ठव पर एक निबन्ध लिखिए।
  109. प्रश्न- 'लघुसिद्धान्तकौमुदी' का विग्रह कर अर्थ बतलाइये।
  110. प्रश्न- 'संज्ञा प्रकरण किसे कहते हैं?
  111. प्रश्न- माहेश्वर सूत्र या अक्षरसाम्नाय लिखिये।
  112. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए - इति माहेश्वराणि सूत्राणि, इत्संज्ञा, ऋरषाणां मूर्धा, हलन्त्यम् ,अदर्शनं लोपः आदि
  113. प्रश्न- सन्धि किसे कहते हैं?
  114. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
  115. प्रश्न- हल सन्धि किसे कहते हैं?
  116. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
  117. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।

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